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delhi, India
I m a prsn who is positive abt evry aspect of life. There are many thngs I like 2 do, 2 see N 2 experience. I like 2 read,2 write;2 think,2 dream;2 talk, 2 listen. I like to see d sunrise in the mrng, I like 2 see d moonlight at ngt; I like 2 feel the music flowing on my face. I like 2 look at d clouds in the sky with a blank mind, I like 2 do thought exprimnt when I cannot sleep in the middle of the ngt. I like flowers in spring, rain in summer, leaves in autumn, freezy breez in winter. I like 2 be alone. that’s me

Saturday, June 15, 2013

कसक

जयपुर: मानसरोवर का फ्लैट Clicked By: Mahi S
मौसम की पहली बारिश, तुम्‍हें ढूंढ़ रही हूं, हर बूंद में....खिड़की के पास बैठी हूं...सब खामोश है, सिर्फ बूंदें बातें कर रही हैं. चेहरे पर आकर जब छू रही है तो मानो एक बार फिर सब कुछ जी रही हूं. तुम्‍हे जी रही हूं, हमारे रिश्‍ते को जी रही हूं, साथ बिताए हर पल को जी रही हूं.
सच में वक्‍त दगाबाज है. तुम्‍हारे बिना बारिश देख रही हूं.... मौसम की पहली बारिश. हर बारिश के साथ एक याद जो जुड़ती है. इस बारिश के साथ शायद यही याद जुड़ी रह जाएगी कि बिना तुम्‍हारे इन बूंदों को समेट रही हूं. याद है तुम्‍हें बरसातों में शिप्रा के टेरेस पर चाय पीना और बरसते पानी के साथ घंटों बैठे रहना...याद है मुझे चाय तुम ही बनाते थे. सब याद आ रहा है आज इन बरसते बादलों को देखकर...
बारिश में मेरे घर के रास्‍ते में अक्‍सर जाम लग जाया करता था और उन दिनों हम दोनों को उस जाम का इंतजार होता था. घर जाने की जल्‍दी तो होती थी रात को, लेकिन जाम में फंसे होने से कुछ घंटे और मिल जाते थे साथ बिताने को... वो खुशनुमा दिन थे...तुम थे...हम थे...तब
जयपुर के हमारे अपने फ्लैट की बालकॉनी से ली हुई तस्‍वीर..
वक्‍त कम पड़ जाता था.  दिल्‍ली के साथ ही जयपुर की बारिश को भी खूब जिया हमने...साल की इस सबसे खूबसूरत सौगात के लिए मै दिल्‍ली से जयपुर पहुंच जाया करती थी. और मेरा पागलपन देख तुम कहते, 'तुम सच में पागल हो...सिर्फ बारिश के लिए जयपुर आई हो..' मै मुस्‍कुराती, मन में सोचती भी कि तुम्‍हें अंदाजा नहीं है, लेकिन मै क्‍या कर रही हूं, बहुत खूब जानती हूं.
तुम्‍हारे बाद मेरा दूसरा हमसफर मेरा कैमरा भी मेरा पूरा साथ देता...बारिश जयपुर को और खूबसूरत बना देता. बिल्‍कुल उजला, धुला हुआ...तुम बारिश रूकने का इंतजार करते और मै बारिश में बाहर निकलने का...वो वक्‍त याद आ रहा है...शिप्रा की बालकोनी, कनॉट प्‍लेस, दिल्‍ली की हर सड़क, हर कोना, ये बारिश आज तकलीफ दे रही है. सब समेट कर रखूंगी, यादों में, तस्‍वीरों में, एहसास में, अल्‍फाज में... आज मौसम की पहली बारिश है...एक खलिश है... तुम याद रहे हो...कहां हो तुम...

4 comments:

  1. बारिश से भीगी ये कहानी..... बहुत सुंदर |

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  2. We do people in rain. Longing is portrayed beautifully in this post Mahi.

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  3. kitni khoobsurati se likha hai aapne...hum bhi beeng se gaye thoda! :)
    baarish wakai khoobsurat hoti hai...ladkiyon ka shayad pasandida mausam hota hai ye baarish ka aur sardiyon ka!

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  4. बारिश के लिए बारिश के शहर जाना... वाह!
    बारिश भी आएगी ढूंढती हुई किसी दिन सिर्फ आप पर बरस जाने की खातिर!
    शुभकामनाएं!

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