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delhi, India
I m a prsn who is positive abt evry aspect of life. There are many thngs I like 2 do, 2 see N 2 experience. I like 2 read,2 write;2 think,2 dream;2 talk, 2 listen. I like to see d sunrise in the mrng, I like 2 see d moonlight at ngt; I like 2 feel the music flowing on my face. I like 2 look at d clouds in the sky with a blank mind, I like 2 do thought exprimnt when I cannot sleep in the middle of the ngt. I like flowers in spring, rain in summer, leaves in autumn, freezy breez in winter. I like 2 be alone. that’s me

Thursday, April 12, 2012

मै चाहती हूं क्षितिज को थामे रखना

दिल्ली में बेमौसम बरसात पता नहीं क्या बताना चाह रही थी, ठंडी हवा, रिमझिम बूंदें, चेहरे को छू रही थी तो मानो कोई ख्याल आंखों के सामने से होकर गुजर रहा हो । अजीब हलचल थी मौसम में भी और मेरे अंदर भी... मौसम में हलचल क्या इशारा कर रहे थे नहीं समझ पाई, लेकिन हमेशा से मेरा मन ये मानता है जब भी बारिश होती है या तो ऊपरवाला या बहुत खुश होता है या बहुत उदास। कल पता नहीं किस बात का इशारा था! हलचल के बाद आसमान  साफ़  हो गया था, एकदम उजला,  शाम को ऑटो में बैठी इन्हीं ख्यालों में उलझी थी कि नजर क्षितिज पर पड़ी, सूरज लाल था, अपनी लालिमा से जैसे जिंदादिली का संकेत दे रहा हो, ढल रहा था, मानो क्षितिज से कह रहा हो कि मुझे थामे रखो। सूरज  के साथ  क्षितिज  खूबसूरत दिख  रहा था, शायद अकेले होने पर न क्षितिज खूबसूरत  लगता ना ही सूरज! थामे रखना मै भी चाहती हूं, हर लम्हे को, हर पल को, जिंदगी को! लेकिन खोता हुआ दिख रहा है, मन की हलचल या हकीकत नहीं पता लेकिन फिलहाल तो उसके एक फोन के इंतजार में हूं, देश से बाहर है, बहुत दूर...

3 comments:

  1. घर लौटते पंछी नहीं देखे क्षितिज की लालिमा में????

    :-)

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  2. प्रकृति जिस तरह मानव मन की पीड़ा से तादात्म्य स्थापित कर लेती है, लगता है चिर सहचरी है हम इंसानों की!

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