तीन दिन से कोई बातचीत नहीं, अचानक सनडे शाम फोन आया माही ऑफिस के नीचे चली जाओ, तुम्हारे लिए कुछ भेजा है रिसीव कर लो जाकर। गुस्से में मैने बिना सुने ही बात काट दी, फिर फोन बजा तुम्हें समझ नहीं आ रहा है जाओ ना चला जाएगा वरना कोरियरवाला, फिर मैने फोन काट दिया। फिर फोन और इस बार मै गुस्से में बोली देखो शारिक न तो ये अप्रैल फूल खेलने का मेरा मन है और न ही तुमसे बात करने का फालतू मजाक मत करो और मुझे काम करने दो। शारिक ने फिर फोन घुमाया और बोला ठीक है बात मत करो जाकर तोहफा तो ले आओ, इतनी दूर से भेजा है। मै अभी सीढ़ी से नीचे ही उतर रही थी कि उसने फिर फोन घुमा दिया मै भी चिड़ते हुए बोली, उड़कर नहीं पहुंच जाऊंगी, जा रही हूं और हमेशा की तरह वो मेरे गुस्से को कम करने के लिए बोला जान लिफ्ट से चली जाओ ना। लेकिन मेरा मन उसकी इन प्यारभरी बातों में नहीं आ रहा था। ऑफिस के गेट के बाहर जाकर खड़ी हुई और मै स्तब्ध हो गई, आंखे जैसे जो देख रही थी उसपर यकीन ही नहीं हो रहा था। शारिक खुद गाड़ी के साथ खड़ा था, आंखों से आंसू छलक गए... ऐसा सरप्राइज न जाने कितने वक्त बाद मिला था सही में मै फूल बन गई थी। शारिक सीधा जयपुर से मेरे ऑफिस पहुंचा था, महज तीन घंटे एक दूसरे के साथ बिताए फिर उसने मुझे घर छोड़ा और जयपुर के लिए रवाना हो गया। घर के बाहर गाड़ी से उतरने के बाद भी मुझे यकीन नहीं हो रहा था, वो सिर्फ तीन घंटे के लिए यहां पहुंचा था, मेरे अंदर क्या चल रहा था पता ही नहीं था लेकिन जो भी था बहुत अच्छा था और ऐसा FOOL मै जिंदगीभर बनना पसंद करूंगी।
About Me
- Mahi S
- delhi, India
- I m a prsn who is positive abt evry aspect of life. There are many thngs I like 2 do, 2 see N 2 experience. I like 2 read,2 write;2 think,2 dream;2 talk, 2 listen. I like to see d sunrise in the mrng, I like 2 see d moonlight at ngt; I like 2 feel the music flowing on my face. I like 2 look at d clouds in the sky with a blank mind, I like 2 do thought exprimnt when I cannot sleep in the middle of the ngt. I like flowers in spring, rain in summer, leaves in autumn, freezy breez in winter. I like 2 be alone. that’s me
Monday, April 2, 2012
मुझे हमेशा बनना है ऐसा FOOL
तीन दिन से कोई बातचीत नहीं, अचानक सनडे शाम फोन आया माही ऑफिस के नीचे चली जाओ, तुम्हारे लिए कुछ भेजा है रिसीव कर लो जाकर। गुस्से में मैने बिना सुने ही बात काट दी, फिर फोन बजा तुम्हें समझ नहीं आ रहा है जाओ ना चला जाएगा वरना कोरियरवाला, फिर मैने फोन काट दिया। फिर फोन और इस बार मै गुस्से में बोली देखो शारिक न तो ये अप्रैल फूल खेलने का मेरा मन है और न ही तुमसे बात करने का फालतू मजाक मत करो और मुझे काम करने दो। शारिक ने फिर फोन घुमाया और बोला ठीक है बात मत करो जाकर तोहफा तो ले आओ, इतनी दूर से भेजा है। मै अभी सीढ़ी से नीचे ही उतर रही थी कि उसने फिर फोन घुमा दिया मै भी चिड़ते हुए बोली, उड़कर नहीं पहुंच जाऊंगी, जा रही हूं और हमेशा की तरह वो मेरे गुस्से को कम करने के लिए बोला जान लिफ्ट से चली जाओ ना। लेकिन मेरा मन उसकी इन प्यारभरी बातों में नहीं आ रहा था। ऑफिस के गेट के बाहर जाकर खड़ी हुई और मै स्तब्ध हो गई, आंखे जैसे जो देख रही थी उसपर यकीन ही नहीं हो रहा था। शारिक खुद गाड़ी के साथ खड़ा था, आंखों से आंसू छलक गए... ऐसा सरप्राइज न जाने कितने वक्त बाद मिला था सही में मै फूल बन गई थी। शारिक सीधा जयपुर से मेरे ऑफिस पहुंचा था, महज तीन घंटे एक दूसरे के साथ बिताए फिर उसने मुझे घर छोड़ा और जयपुर के लिए रवाना हो गया। घर के बाहर गाड़ी से उतरने के बाद भी मुझे यकीन नहीं हो रहा था, वो सिर्फ तीन घंटे के लिए यहां पहुंचा था, मेरे अंदर क्या चल रहा था पता ही नहीं था लेकिन जो भी था बहुत अच्छा था और ऐसा FOOL मै जिंदगीभर बनना पसंद करूंगी।
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:-)
ReplyDeleteहम भी पागल....तुम भी पागल.............................
so sweeeeeeeeeeeeeeeeet.
anu
:)
ReplyDeleteसो स्वीट!
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