गुलाबी ठंड में बाहर टहलते हुए अचानक मेरे मिस्टर परफेक्ट
जायका इंडिया के विनोद दुआ के स्टाइल में बोले चलो आज किसी बड़े रेस्टोरेंट में ना जाकर चखते हैं जायका दिल्ली का...बस फिर क्या था, मै भी पूरी एक्साइटमेंट के साथ कैलोरी और मेमोरी उठाने के लिए झट से तैयार हो गई। वैसे बात तो है ठंड के दिनों में दिल्ली के स्ट्रीट फूड की बात ही कुछ और होती है।
मिस्टर नौटंकी के सिर पर जब कोई बात सवार हो जाए तो वो पूरी होकर ही रहती है।
कैलोरी और मेमोरी की शुरुआत मोमोस से हुई, फिर तो न जाने क्या-क्या खाया। पटना का एग रोल, दाल की पकौड़ी, मिर्च पकौड़ी, सूप, शकरकंद, पाइनएप्पल वगैरह..वगैरह...इधर कैलोरी की चिंता होती ऊधर उसका एक्साइटमेंट देखकर लगता कि कोई बात नहीं...कल एक घंटा वॉक ज्यादा कर लूंगी। वैसे इस बार दिल्ली में ठंड अभी तक शुरू नहीं हुई है लेकिन मंगलवार रात मौसम बहुत ही अच्छा था, ठंडी-ठंडी हवा चल रही थी। खाने और घूमने दोनो में ही मजा आ रहा था। फिर हमने आमिर को भी बुला लिया। और रात के करीब आठ बजे हमने रात के खाने का प्लान पुरानी दिल्ली के करीम में बनाया। वैसे भी कितना भी खाने-पीने के बाद रात के खाने के लिए हम लोग मुगलई खाना की चुनते हैं और अब तो इतने सालों में मेरी भी पसंद वही हो गई है। फिर मेट्रो लेकर हम लोग पुरानी दिल्ली पहुंचे। मोहर्रम के कारण पुरानी दिल्ली का बाजार बंद था। इससे थोड़ी भीड़-भाड़ भी कम थी। मेट्रो स्टेशन से रिक्शा लिया, कितनी भी रात हो पुरानी दिल्ली की रौनक वैसी ही रहती है। करीम पहुंचने के बाद हम लोगों ने अपना मुगलई खाना खाया। फिर वापस घर की ओर, इस तरह एक ठंड की एक खूबसूरत शाम बाइक की सवारी के सात रात के 11 बजे पूरी हुई। और इस तरह ये मंगलवार कैलोरी और मेमोरी के नाम रहा।
जायका इंडिया के विनोद दुआ के स्टाइल में बोले चलो आज किसी बड़े रेस्टोरेंट में ना जाकर चखते हैं जायका दिल्ली का...बस फिर क्या था, मै भी पूरी एक्साइटमेंट के साथ कैलोरी और मेमोरी उठाने के लिए झट से तैयार हो गई। वैसे बात तो है ठंड के दिनों में दिल्ली के स्ट्रीट फूड की बात ही कुछ और होती है।
मिस्टर नौटंकी के सिर पर जब कोई बात सवार हो जाए तो वो पूरी होकर ही रहती है।
कैलोरी और मेमोरी की शुरुआत मोमोस से हुई, फिर तो न जाने क्या-क्या खाया। पटना का एग रोल, दाल की पकौड़ी, मिर्च पकौड़ी, सूप, शकरकंद, पाइनएप्पल वगैरह..वगैरह...इधर कैलोरी की चिंता होती ऊधर उसका एक्साइटमेंट देखकर लगता कि कोई बात नहीं...कल एक घंटा वॉक ज्यादा कर लूंगी। वैसे इस बार दिल्ली में ठंड अभी तक शुरू नहीं हुई है लेकिन मंगलवार रात मौसम बहुत ही अच्छा था, ठंडी-ठंडी हवा चल रही थी। खाने और घूमने दोनो में ही मजा आ रहा था। फिर हमने आमिर को भी बुला लिया। और रात के करीब आठ बजे हमने रात के खाने का प्लान पुरानी दिल्ली के करीम में बनाया। वैसे भी कितना भी खाने-पीने के बाद रात के खाने के लिए हम लोग मुगलई खाना की चुनते हैं और अब तो इतने सालों में मेरी भी पसंद वही हो गई है। फिर मेट्रो लेकर हम लोग पुरानी दिल्ली पहुंचे। मोहर्रम के कारण पुरानी दिल्ली का बाजार बंद था। इससे थोड़ी भीड़-भाड़ भी कम थी। मेट्रो स्टेशन से रिक्शा लिया, कितनी भी रात हो पुरानी दिल्ली की रौनक वैसी ही रहती है। करीम पहुंचने के बाद हम लोगों ने अपना मुगलई खाना खाया। फिर वापस घर की ओर, इस तरह एक ठंड की एक खूबसूरत शाम बाइक की सवारी के सात रात के 11 बजे पूरी हुई। और इस तरह ये मंगलवार कैलोरी और मेमोरी के नाम रहा।
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