1 जनवरी 2012
सरिसका टाइगर रिसर्व
way to Sariska |
नील गाय |
बस सरिसका पहुंचने के कुछ दूर पहले हम लोगों ने ढाबे में खाना खाया। इतना लजीज ढाबे का खाना एक अर्से बाद खाया था। क्या स्वाद था, मसालेदार मटर पनीर, तड़का दाल, सेव टमाटर, रोटी, छाज और सलाद....एकदम लाजवाब स्वाद। सबने खूब छककर खाया। यहां से भी सरिसका तक थोड़ा वक्त लगता। खाकर दोबारा सब गाड़ी में बैठ और निकले। लेकिन अभी थोड़ी ही दूर चले थे कि आमिर की तबीयत खराब हो गई। उसे थोड़ा आराम देने के लिए गाड़ी को किनारे लगाया गया। इतने में शारिक ने आवाज दी, देखा जहां गाड़ी रूकी है उसकी दूसरी तरफ सरसों के लहलहाते खेत, शारिक बोला माही फोटो लेते हैं, बस फिर क्या था हम लोगों ने खूब फोटो शूट किया। सरसों के खेत में दिलवाले दुल्हनियां के पोज में खूब फोटो खिंचवाई। :) :) अभी फोटो सेशन में व्यस्त ही थे कि अचानक घड़ी पर नजर पड़ी देखा अब हमें बहुत देर हो गई है। फटाफट गाड़ी में बैठे और सरिसका के रास्ते चले, रास्ता इतना खराब कि लग्जरी कार में बैठकर भी कमर जवाब देने लगी थी। अब हमें सरिसका का बोर्ड नजर आया और हमने गाड़ी लगाई।
me and sharique |
kashif |
शाम तक जंगल में खूब घूमे, जैसे-जैसे शाम ढल रही थी टाइगर की एक झलक देखने को मन और बेताब हो रहा था। लग रहा था कि टाइगर देखने के लिए ही इतनी मुश्किल से पहुंचे हैं और टाइगर ही नहीं दिखे तो कैसा लगे। लेकिन जब एकदम शाम हुई तो ड्राइवर बोला कि अभी खबर आई है कि टाइगर का लोकेशन उस पहाड़ों के पीछे हैं जो कि अभी यहां नहीं उतरेंगे। हमारे पूछने पर कि उन लोगों को कैसे पता चला तो बोला टाइगर के पैरों में सेंसर लगा है जिसे उसके मूवमेंट पता चलती है। अब हम उस जंगल से बाहर निकल रहे थे लग रहा था कि एक दूसरी ही दुनिया से निकलकर फिर अपनी शोर-शराबे वाली दुनिया में जा रहे थे। जंगल कितना अच्छा लग रहा था, चिडिय़ों की आवाज, खेलते जानवर, अपने आप में मस्त हिरण, खेलते बंदर, सफारी और जू के इस बड़े अंतर को देखकर बहुत ही अच्छा लगा।
अब हम जंगल से बाहर थे और शहर की तरफ निकल पड़े। हम तीन लोग को दिल्ली के लिए निकला था और शारिक, काशिफ और जामी को जयपुर लौटना था। हमने पाओटा के पास से बस ली और दिल्ली के लिए रवाना हुए। रात के तीन बजे आमिर, सुहेब और और मै दिल्ली पहुंचे और इस तरह साल का पहला दिन सब लोगों के साथ एक यादगार दिन बना।
सुन्दर संस्मरण!
ReplyDeleteReading this brought back memories of Bhangarh trip. Sahi kaha...raaste jaise koi cheez nhi wahaan...Abhi Sariska dekhna rehta hai...Jaldi hi. :
ReplyDeleteHere's what I wrote: http://www.indiblogger.in/indipost.php?post=276295. Please read and share your thoughts! :D