deepika's 2days facebook status for me :
" Life is all about moving ahead...but sum ppl find it really difficult...a frend f mine is still trying her best to stay in that phase only. Dear, staying in love with someone even if you know you can't be together in future is like standing in rain... you know you will be sick but still you stand :( Move onnnnnnnnnnnnn...."
आज मेरी सबसे अच्छी दोस्त दीपिका ने फेसबुक में मेरे लिए मैसेज लिखा... मैसेज उसने इस गुस्से में लिखा कि क्यों मैने एक ऐसा एप्लीकेशन लिया जिसमें मै एक मैसेज छोड़ सकती हूं जो कि मेरे मरने के बाद फेसबुक पब्लिश करेगा। मैने भी उस एप्लीकेशन में एक मैसेज छोड़ा जो कि शायद मेरे मरने के बाद सबके सामने आए...खैर दीपिका के इस मैसेज को देखकर पहले कुछ रिएक्शन नहीं आया, फिर मुझे थोड़ी हंसी आई, फिर लगा जिंदगी के हर एक सच से हर इंसान वाकिफ होता है लेकिन जब उसे दूसरे को समझाना होता है तो आसान और खुद समझना होता है तो नामुमकिन हो जाता है। मूव ऑन बोलना सुनना कितना आसान है... मूव ऑन माही, मूव ऑन बेटा, मूव ऑन दोस्त, मूव ऑन बेबी मूव ऑन..मूव ऑन..मूव ऑन...
मै जानती हूं मुझे मूव ऑन बोलने वाला हर कोई मुझसे बहुत प्यार करता है, सोच रहा है मेरे बारे में कि कैसे मुश्किल जिंदगी हो सकती है मेरी... लेकिन क्या कोई माही को समझ रहा है?
कैसे करूं मूव ऑन...अपने पुराने फोन में मेरे और शारिक के एक दूसरे को जानने से भी पहले के मैसेज, पहली बार मिलने वाला दिन, पहली बार मिलने वाली जगह, पहली बार उसकी कार में बैठना (जो अब मेरी हो चुकी है), पहली बारिश, पहली बार उस फ्लैट में जाना जिसकी बॉलकनी को आज भी महसूस कर सकती हूं मै, पहली लड़ाई, पहली बार रूठना-मनाना, पहली बार बाइक में बैठना, मेट्रो स्टेशनों में शारिक का मेरे लिए इंतजार करना, घंटो मेरे ऑफिस के नीचे खड़े रहना और मेरे देर करने पर उसका अकेले जाकर टी-शर्ट खरीदना, पहली फिल्म, पहला तोहफा, पहली शॉपिंग, पहला बर्थडे, पहली बार मेरी फेवरेट आइक्रीम खाना, पहली बार मेरे लिए फूल, पहली तस्वीर, पहली रोक-टोक, पहला गुस्सा, पहली लांग ड्र्राइव, उसके दोस्तों से पहली बार मिलना, पहली बार मेरा उसे दीपिका को मिलाना, पहली बार उसके घर वालों से मिलना, घर वालों का प्यार, फिर उनका गुस्सा भी, सबकुछ ना जाने कितना कुछ....ना जाने कितनी ही बातें जो कि कागज में एक बार बैठकर उतारना ही संभव नहीं है। कैसे निकलूं? कैसे भूलूं दिल्ली और जयपुर के हर कोने को जहां हम न जाने कितने ही खूबसूरत पल गुजारते हैं, लड़ते हैं, गुस्सा होते हैं लेकिन फिर सारी बातें भूलकर आगे चलते हैं....
दीपिका मेरी जान मूव ऑन शब्द माही के लिए है ही नहीं.... जिंदगी उसके साथ या तो नहीं...
जब जिंदगी ही ठहर गई है तो मै कैसे आगे बढ़ूं? |
आज मेरी सबसे अच्छी दोस्त दीपिका ने फेसबुक में मेरे लिए मैसेज लिखा... मैसेज उसने इस गुस्से में लिखा कि क्यों मैने एक ऐसा एप्लीकेशन लिया जिसमें मै एक मैसेज छोड़ सकती हूं जो कि मेरे मरने के बाद फेसबुक पब्लिश करेगा। मैने भी उस एप्लीकेशन में एक मैसेज छोड़ा जो कि शायद मेरे मरने के बाद सबके सामने आए...खैर दीपिका के इस मैसेज को देखकर पहले कुछ रिएक्शन नहीं आया, फिर मुझे थोड़ी हंसी आई, फिर लगा जिंदगी के हर एक सच से हर इंसान वाकिफ होता है लेकिन जब उसे दूसरे को समझाना होता है तो आसान और खुद समझना होता है तो नामुमकिन हो जाता है। मूव ऑन बोलना सुनना कितना आसान है... मूव ऑन माही, मूव ऑन बेटा, मूव ऑन दोस्त, मूव ऑन बेबी मूव ऑन..मूव ऑन..मूव ऑन...
मै जानती हूं मुझे मूव ऑन बोलने वाला हर कोई मुझसे बहुत प्यार करता है, सोच रहा है मेरे बारे में कि कैसे मुश्किल जिंदगी हो सकती है मेरी... लेकिन क्या कोई माही को समझ रहा है?
कैसे करूं मूव ऑन...अपने पुराने फोन में मेरे और शारिक के एक दूसरे को जानने से भी पहले के मैसेज, पहली बार मिलने वाला दिन, पहली बार मिलने वाली जगह, पहली बार उसकी कार में बैठना (जो अब मेरी हो चुकी है), पहली बारिश, पहली बार उस फ्लैट में जाना जिसकी बॉलकनी को आज भी महसूस कर सकती हूं मै, पहली लड़ाई, पहली बार रूठना-मनाना, पहली बार बाइक में बैठना, मेट्रो स्टेशनों में शारिक का मेरे लिए इंतजार करना, घंटो मेरे ऑफिस के नीचे खड़े रहना और मेरे देर करने पर उसका अकेले जाकर टी-शर्ट खरीदना, पहली फिल्म, पहला तोहफा, पहली शॉपिंग, पहला बर्थडे, पहली बार मेरी फेवरेट आइक्रीम खाना, पहली बार मेरे लिए फूल, पहली तस्वीर, पहली रोक-टोक, पहला गुस्सा, पहली लांग ड्र्राइव, उसके दोस्तों से पहली बार मिलना, पहली बार मेरा उसे दीपिका को मिलाना, पहली बार उसके घर वालों से मिलना, घर वालों का प्यार, फिर उनका गुस्सा भी, सबकुछ ना जाने कितना कुछ....ना जाने कितनी ही बातें जो कि कागज में एक बार बैठकर उतारना ही संभव नहीं है। कैसे निकलूं? कैसे भूलूं दिल्ली और जयपुर के हर कोने को जहां हम न जाने कितने ही खूबसूरत पल गुजारते हैं, लड़ते हैं, गुस्सा होते हैं लेकिन फिर सारी बातें भूलकर आगे चलते हैं....
दीपिका मेरी जान मूव ऑन शब्द माही के लिए है ही नहीं.... जिंदगी उसके साथ या तो नहीं...
पहला... ये शब्द ही ऐसा है, कि इसके बाद जो भी शब्द लगे वो इतना खूबसूरत हो जाता है कि फिर आजीवन उसके मोह से नहीं निकला जा सकता!
ReplyDeleteज़िन्दगी भी वैसी ही खूबसूरत शय है... जी जानी चाहिए, हर हाल में!