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on my way to moon! |
लेकिन ये क्या अभी लिखते-लिखते उसे ये बताने के लिए फोन किया तो ऊधर से भारी आवाज में साहब बोले माही मीटिंग में हूं बाद में बात करता हूं। ऊफ !! अब मै पापड़ नहीं रोटियां बेलना चाहती हूं :P :P
खैर, मै तो चली तैयारी करने, एक बार फिर जयुपर का सफर, सुबह उठकर शारिक के साथ चाय, शाम का नाश्ता, रात का एक साथ खाना, उस बीच गंदे घर को साफ करते हुए चिल्लाना, बिस्तर पर पड़े गीले टॉवल को देखर उसपर गुर्राना, जूते लेकर पूरे कमरे में घूमता देख आंख दिखाना.....मै चली एक बार फिर अपनी दुनिया में....
अगला अपडेट जयपुर से...