अब तक तुम्हारे साथ थी लेकिन अभी तुम्हें जी रही हूं मै...हर दिन, हर घंटे, हर पल...कभी समझने का मौका ही नहीं मिला कि जिंदगी तुम्हारे बिना भी जीनी होगी, खुद को बहलाने के लिए हर खुशनुमा पल को याद करती हूं.
तुम्हें याद है एक दिन रात खाने के बाद हम सब बैठे थे, हमारा सबसे अजीज Mr. K भी हमारे साथ ही था. बातों-बातों में उसने पूछा माही तुम्हें दोबारा जिंदगी मिली तो तुम्हें क्या चाहोगी? तुम मेरी ओर देखकर मुस्कुराए....यही सवाल उसने तुमसे भी पूछा....तुमने एकदम कॉरपोरेट जगत के किसी बड़े नाम की तरह एक जवाब दिया...अब बारी मेरी थी...Mr. K ने दो बार कहा, बोलो ना माही अल्लाहताला ने दोबारा इंसानी जिंदगी दी तो तुम क्या जीना चाहोगी.
.....और मै बोली....मै माही ही बनकर आना चाहूंगी, हर वो गलती दोबारा दोहराना चाहूंगी, तुम्हें इतना ही प्यार करूंगी, तुम्हारे साथ जिंदगीभर साथ रहने के लिए इसी तरह अल्लाह से लड़ूंगी, तुम्हारी हर छोटी-बड़ी बात का ख्याल रखूंगी, अपने मां-पापा की खिदमत करूंगी. मै तुमसे इसी तरह टूट कर प्यार करूंगी...जिंदगीभर, जिंदगी रहते तक और जिंदगी के बाद भी...इंशाल्लाह...ये सुनकर मेरा गला रूंध गया था...तुम दोनों की आंख भी नम थी.... Mr. K उठकर पानी लेने गए....तुम मेरे पास आए और पूछा इतना प्यार क्यों करती हो मुझसे...शायद तुम्हें कुछ नहीं दे पाऊंगा....
तुम्हारे ही ख्यालों से बात करते हुए उसी जगह आ खड़ी हूं जहां तुमने मुझे आखिरी बार छोड़ा था....न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी का ये बस स्टैंड....तुम नहीं हो लेकिन मेरा दिल पूछना चाहता है तुमसे ''....मुझे याद करोगे ना, इस रिश्ते पर नाज करोगे ना?
रंजिश ही सही, दिल ही दुखाने के लिए आ
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ.......अहमद फ़राज़