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clicked by Mahi S, Jaipur flat |
बुरा गुज़रा दिन....अब तक का सबसे बुरा शायद...कुछ यही सोचकर दिन गुज़र गया था....मै माफ़ी मांगने के लिए जैसे ही कमरे में गयी देखा तुम्हे सुकून से सोते हुए...कमरे में अँधेरा था...मैंने बालकोनी का दरवाज़ा खोला, आसमान बादलों से घिर आया था...बारिश मानो बादलों के कैद से छूटकर बेपरवाह होकर बरसने को बेताब थी ...बहुत खूबसूरत दिख रहा था आसमान आज...मेरा था वो...मेरा आसमान...मैंने फिर कमरे में देखा, तुमने करवट ली...बहुत आराम से...शायद यही एहसास जिसे मै जी रही थी उसे सुकून कहते हैं...तमाम मुश्किलों के बाद भी मैंने जीया उस सुकून को...तुम्हे देखेने का सुकून, तुम्हारे पास होने का सुकून!!!
सच माही....जो भी है....बस यही एक पल है....
ReplyDeleteकम शब्दों में पूरी कायनात.......
sukoon saaf khalak raha hai...lovely post :)
ReplyDeletethnk u saumya :)
Deleteये कलम का कमाल है या भावनाएं जो शब्दों के माध्यम से उठ रही हैं ...
ReplyDeleteरो में बह जाने का मन करता है पढते हुवे ...
लाजवाब ...
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ReplyDeleteThnk u so much...Welcum here :) :)
ReplyDeleteसुकून उनका हो तो अपना तो फिर पुरसुकून है |
ReplyDeleteवाह अति सुन्दर हर एक पंक्तियों से सच्चाई झलकती है. वाह
ReplyDeleteदेखने का सुकून....पास होने का सुकून....
ReplyDeleteअब मिलेगा पा लेने का सुकून......
शिद्दत से चाही गयी "चीज़" न मिले ये मुमकिन नहीं....
कितना भी उलझा हो..कितना भी खराब हो....
:-)
ढेर सा प्यार तुम्हे (to push u out of blues...)
anu
हर पंक्ति से सच्चाई झलकती है
ReplyDeleteसुकून मिला पढ़ के...|
ReplyDeleteसहेज लिया गया सुकून जीवन भर सुकून देगा!
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