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जयपुर: मानसरोवर का फ्लैट Clicked By: Mahi S |
सच में वक्त दगाबाज है. तुम्हारे बिना बारिश देख रही हूं.... मौसम की पहली बारिश. हर बारिश के साथ एक याद जो जुड़ती है. इस बारिश के साथ शायद यही याद जुड़ी रह जाएगी कि बिना तुम्हारे इन बूंदों को समेट रही हूं. याद है तुम्हें बरसातों में शिप्रा के टेरेस पर चाय पीना और बरसते पानी के साथ घंटों बैठे रहना...याद है मुझे चाय तुम ही बनाते थे. सब याद आ रहा है आज इन बरसते बादलों को देखकर...
बारिश में मेरे घर के रास्ते में अक्सर जाम लग जाया करता था और उन दिनों हम दोनों को उस जाम का इंतजार होता था. घर जाने की जल्दी तो होती थी रात को, लेकिन जाम में फंसे होने से कुछ घंटे और मिल जाते थे साथ बिताने को... वो खुशनुमा दिन थे...तुम थे...हम थे...तब
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जयपुर के हमारे अपने फ्लैट की बालकॉनी से ली हुई तस्वीर.. |
तुम्हारे बाद मेरा दूसरा हमसफर मेरा कैमरा भी मेरा पूरा साथ देता...बारिश जयपुर को और खूबसूरत बना देता. बिल्कुल उजला, धुला हुआ...तुम बारिश रूकने का इंतजार करते और मै बारिश में बाहर निकलने का...वो वक्त याद आ रहा है...शिप्रा की बालकोनी, कनॉट प्लेस, दिल्ली की हर सड़क, हर कोना, ये बारिश आज तकलीफ दे रही है. सब समेट कर रखूंगी, यादों में, तस्वीरों में, एहसास में, अल्फाज में... आज मौसम की पहली बारिश है...एक खलिश है... तुम याद रहे हो...कहां हो तुम...
बारिश से भीगी ये कहानी..... बहुत सुंदर |
ReplyDeleteWe do people in rain. Longing is portrayed beautifully in this post Mahi.
ReplyDeletekitni khoobsurati se likha hai aapne...hum bhi beeng se gaye thoda! :)
ReplyDeletebaarish wakai khoobsurat hoti hai...ladkiyon ka shayad pasandida mausam hota hai ye baarish ka aur sardiyon ka!
बारिश के लिए बारिश के शहर जाना... वाह!
ReplyDeleteबारिश भी आएगी ढूंढती हुई किसी दिन सिर्फ आप पर बरस जाने की खातिर!
शुभकामनाएं!